गंगा दशहरा पर विशेष
•Posted on May 26 2023
।। ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः।।
पंचांगानुसार भारत में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस शुभ दिन माँ गंगा की पहली धारा ने पृथ्वी को स्पर्श किया जिसे हमारे ग्रंथों में गंगा दशहरा का नाम दिया गया।
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माँ गंगा को पृथ्वी पर लाने का श्रय श्री दिलीप के पुत्र राजा भगीरथ को जाता है। माना जाता है की कपिल मुनि के द्वारा भस्म किये गए सागर के पुत्रों की अर्थात अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु राजा भगीरथ माँ गंगा की कठोर तपस्या कर समस्त मानव जाति के कल्याण की कामना करते हुए माँ गंगा से पृथ्वी पर प्रकट होने का अनुग्रह करते हैं। भगीरथ की इस भक्ति भाव को देख माँ गंगा अत्यंत प्रसन्न हुई और भगीरथ को अपने दर्शन देते हुए कहा;
हे पुत्र मैं तुम्हारी इस विनर्म भक्ति भाव से प्रसन्न हुई बोल तेरे जीवन में क्या है जो तुझे व्याकुल कर रहा है!
भगीरथ : उनका अभिनन्दन करते हुए कहता है, हे माते कृपया कर मेरे पूर्वजों की आत्मा की शांति एवं सम्पूर्ण विश्व के उद्धार हेतु पृथ्वी पर अवतार लें।
गंगा माँ : पुत्र मैं तेरी इस असीम भक्ति भाव से इतनी प्रसन्न हूँ की मैं तेरे द्वारा की गई प्रार्थना के अनुसार तत्काल पृथ्वी पर अवतरित हो जाऊ परन्तु मेरी विशाल एवं शक्तिशाली धारा पृथ्वी पर प्रलय ला सकती हैं।
भगीरथ : हे माते मैं तो एक तुक्ष जन की भांति हूँ भला मैं आपकी शक्ति, सामर्थ्य, बल, बुद्धि एवं शौर्य की महिमा का वर्णन आपके ही समक्ष कैसे करू? कृपया मुझे ऐसा करने पर विवश कर मुझे उपहास का पात्र न बनाएं। हांलाकि आपके इस भक्त को पूर्ण विश्वाश है की यदि विश्व के कल्याण के मार्ग में कोई व्याधि है तो उसका समाधान भी आपके पास अवश्य होगा।
गंगा माँ : आनंद भरे स्वर में कहती हैं पुत्र इसका हल केवल भगवान शंकर के पास है।
भगीरथ : अचम्भित भरे स्वर में, इसमें भगवान शिव हमारी किस प्रकार सहायता कर सकते हैं ?
माँ गंगा : केवल वही एक ऐसी शक्ति है जो मेरे प्रचंड वेग के प्रवाह को नियंत्रित कर सकते हैं। उनकी जटाओं में इतना बल है की मैं सर्वदा उन्हीं की जटाओं से नियंत्रित होकर पृथ्वी पर अपनी दिव्य धाराओं के माध्यम से मनुष्य के समस्त पापों का नाश कर उन सबका उद्धार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाऊंगी।
भगीरथ : देवी गंगा को प्रणाम करते हुए कहते हैं हे माँ तुम्हारी महिमा अपरम पार है। मुझ जैसे साधारण जन को अपने दर्शन देने के लिए मैं सदा आपका महिमा का गुणगान करूँगा।
इस प्रकार मां गंगा के प्रचंड वेग को नियंत्रित करने हेतु भगवान शंकर ने गंगा माँ को अपनी जटाओं में समा लिया तत्पश्चात शिवजी द्वारा नियंत्रित वेग से गंगा को पृथ्वी पर प्रवाहित किया गया। जिसके उपरांत भागीरथ ने अपने पूर्वजों की अस्थियां प्रवाहित कर उन्हें मुक्ति दिलाई।
इस शुभ दिन माँ गंगा की पूजा अर्चना से प्राप्त किये जाने वाले लाभ
- गंगा दशहरा के दिन यदि व्यक्ति सच्ची निष्ठा से गंगा स्नान कर गंगा चालीसा का पाठ करता है, तो उसे देवी की कृपा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- इस दिन जो भी व्यक्ति विधि-विधान से अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु गंगा पूजा करता है वह पूजा अवश्य सफल होती है।
- इस दिन देवी गंगा का स्नान यदि संभव न हो तो केवल देवी का स्मरण कर गंगा आरती का पाठ करने से उस व्यक्ति के घर में कदापि धन-धान्य का अभाव नहीं रहता।
- इस दिन माँ गंगा की आराधना करने के साथ ही साथ भगवान शंकर की पूजा अर्चना करने व शिव लिंग पर जल चढ़ाने का भी विशेष महत्व है। हमारे पवित्र ग्रन्थ रामायण में यह बात वर्णित है की भगवान राम ने गंगा के तट पर शिवलिंग की स्थापना की इसलिए ऐसी मान्यता है की, जो भी भक्त इस दिन शिवालयों में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाता है उसे स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
- ऐसा माना जाता है कि गंगा दशहरा के दिन निर्धन एवं अभावग्रस्त को अन्न,वस्त्र, फल व जल का दान करने एवं माँ गंगा की भक्ति से ओत-प्रोत प्रार्थनाओं का पाठ कर अपने आराध्य को नमन करना चाहिए इससे मनुष्य द्वारा भूलवश किये गए पापों से मुक्ति मिलती है।
अतः गंगा दशहरा के इस शुभ दिन भक्त स्नान कर निश्चल भाव से दैवीय कृपा को प्राप्त अपनी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण कर सकता है।
योगिता गोयल
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