भगवान कालभैरव को समर्पित कालाष्टमी पर विशेष
•Posted on February 27 2023
।।ॐ कालभैरवाय नमः।।
हिन्दू पंचांग के अनुसार कालाष्टमी वर्ष के प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है जिसे भैरव अष्टमी, काल भैरव अष्टमी या मासिक कालाष्टमी आदि नाम से भी जाना जाता है। यह दिन मुख्य रूप से भगवान शिव के पांचवें अवतार अर्थात् भगवान काल भैरव की स्तुति का पर्व है। हमारे शास्त्रों में भगवान शिव के अंश से ही भगवान काल भैरव की उत्पत्ति बताई गई है।
कालाष्टमी हिन्दू धर्म के सभी भक्तों के लिए विशेष दिन माना गया है इस दिन भगवान शंकर के रूद्र स्वरुप की सच्ची निष्ठा से पूजा अर्चना व व्रत कर भगवान काल भैरव के वाहन (श्वान) को भोजन कराने व ब्राह्मण को दान दक्षिणा देने का अत्यधिक महत्व माना गया है, कहा जाता है ऐसा करने से भगवान भैरव की कृपा सदा अपने भक्तों पर बनी रहती है एवं इनके आशीर्वाद से से उस भक्त को कदापि मृत्यु का भय नहीं सताता।
कालाष्टमी के दिन व्रत व पूजा करने का फल
- भैरवाष्टमी के इस शुभ अवसर पर भगवान काल भैरव की विधि-विधान रूप से पूजा अर्चना करने से मनुष्य के जीवन के समस्त दुखों का नाश हो जाता है\
- शास्त्रानुसार काल भैरव अति शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवों में से एक है जो मात्र अपने भक्तों द्वारा की गई पूजा से प्रसन्नचित होकर उन्हें दीर्घायु का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
- जो भी जातक भगवान भैरव को समर्पित कालाष्टमी का व्रत पूर्ण करता है वह ईश्वर के आशीर्वाद से जीवन में व्याप्त समस्त रोगों से मुक्त हो जाता है।
- ऐसा माना जाता है की जो भी भक्त इस दिन भगवान भैरव के स्मरण हेतु व्रत संकल्प को पूर्ण कर भैरव चालीसा, शिव चालीसा का पठन- पाठन या भैरव मंत्र (ॐ भयहरणं च भैरवः।) का जप करते हैं वे निश्चित रूप से अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर मृत्यु के भय से मुक्त हो जाते हैं।
- शिवपुराण में वर्णित कुछ मंत्रों के जप मात्र से ही व्यक्ति अपने जीवन में व्याप्त नकारात्मक शक्ति एवं समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है।
व्रत संकल्प किस प्रकार लें :-
भगवान काल भैरव व भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष ॐ कालभैरवाय नमः मंत्र का जप करते हुए व्रत संकल्प लेने हेतु ईश्वर का सहयोग लें, और बोलें,
हे भगवान कालभैरव आपको मेरा प्रणाम है। हे भगवान शंकर के रूद्र स्वरूप अर्थात भगवान भैरव मैं आपका उपासक (आपका नाम) इस कालाष्टमी व्रत करना चाहता हूँ,
हे ईश्वर आप मुझ पर अपनी कृपा बनाए रखें जिससे मैं काम क्रोध व लोभ-लालच आदि से मुक्त होकर इस पावन व्रत को निर्विघ्न पूर्ण कर सकूँ।
पूजा विधि
जो भी जातक कालभैरव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य करने की कामना करते हैं उन्हें इस शुभ का आरम्भ व्रत संकल्प से करना चाहिए। इससे पूर्व एक पूजा थाली तैयार करें जिसमें एक जल से भरा पीतल का लोटा, गंगाजल, पुष्पहार, पुष्प, धूप, चन्दन दक्षिणा सामग्री (तेल, उड़द की दाल, काले तिल घर धन राशि आदि ), दीपक आदि सम्मलित हों।
- सामान्य दिनचर्या के अनुसार इस विशेष दिन भी कर-दर्शन व भूमि वंदना के उपरांत स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर सर्वप्रथम कालाष्टमी व्रत संकल्प लें।
- अब एक चौकी पर भगवान कालभैरव की प्रतिमा स्थापित करें आप गंगाजल व पुष्प की सहायता से उस प्रतिमा को शुद्ध करें तत्पश्चात भगवान को पुष्पहार चढ़ाएं। भगवान कालभैरव के मंत्रों का उच्चारण करते हुए उनका चन्दन से तिलक कर सभी दक्षिणा वाली वस्तुओं को भगवान के समक्ष अर्पित करें (जिन्हें पूजा के उपरान्त किसी ब्राह्मण को दिया जाना है)।
- अब धूप व अगरबत्ती जोड़ कर शिव चालीसा व भैरव चालीसा का पाठ करें।
- इस दिन किसी भी श्वान को भोजन अवश्य दें, इससे भगवान कालभैरव अवश्य प्रसन्न होते है।
- रात्रि के समय भगवान का स्मरण करते हुए उनके समक्ष एक दीपक प्रज्वलित कर पूजा संपन्न करें।
।। ॐ भयहरणं च भैरव:।।
योगिता गोयल
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