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मंत्र: हिन्दू धर्म के सात सर्व शक्तिशाली मंत्र एवं उनका महत्व

Posted By ServDharm

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Posted on February 16 2023

सनातन धर्म में 33 कोटि देवी देवताओं को प्रेम एवं श्रद्धा भाव से पूजा जाता है। धार्मिक शास्त्रों में इन समस्त देवी-देवताओं की भक्ति हेतु  भिन्न- भिन्न मंत्रों का उल्लेख मिलता है। इन पवित्र मंत्रों के जप मात्र से मनुष्य द्वारा स्वास्थ्य, बुद्धि,  शौर्य, धन,  सफलता  व समृद्धि आदि से सम्बंधित लाभ को प्राप्त किया जा सकता है। मंत्रोच्चारण से  व्यक्ति के शरीर में ध्वनि तरंग की एक ऐसी शक्ति प्रवाहित होती है जो वायु व स्वास  के माध्यम से मानवीय शरीर में प्रवेश होकर मनुष्य की मन की स्थिति को शांत कर मानसिक एकाग्रता उत्पन्न कर व्यक्ति को अनेक रोगों जैसे ह्रदय रोग, वायु रोग, स्वास , रक्त चाप व मधुमेह आदि गंभीर रोगों से मुक्ति दिलाती  है व व्यक्ति के जीवन का सर्वांगिण विकास करती है।

यहाँ मंत्र का अर्थ शब्दों के एक समूह से नहीं अपितु यह एक औषधि है जब व्यक्ति के मन में अति अनावशयक विचारों की बाढ़ उत्पन्न होती है जिससे उसके मन में चिंता, भय, क्रोध आदि की ज्वाला प्रज्वलित होती है जिसे केवल मंत्रों के माध्यम से शांत किया जा सकता है। ऐसा  नहीं है की यहाँ वर्णित मंत्र ही सर्वशक्तिशाली है बल्कि ईश्वर को समर्पित सभी मंत्र पवित्र एवं शक्ति शाली हैं। यहाँ उन सात मंत्रों का उल्लेख किया है जिनका  भारतीय जनमानस द्वारा जप करना अत्यधिक सरल व संक्षिप्त है और केवल एक मंत्र के माध्यम से वह भगवान को प्रसन्न कर उनकी संपूर्ण महिमा का एकरस  कर लेता है। इन सात शक्तिशाली मंत्रों की  श्रेणी में सर्वप्रथम ॐ मंत्र के जाप के महत्व व इसके यथार्थ को जानना अवश्य है।

 

यह एक ऐसा मंत्र है जिसे मनुष्य द्वारा किसी भी समय तथा किसी भी योग्य स्थान पर जपा जा सकता है। यह किसी विशेष आराध्य को संबोधित न होकर मनुष्य का साक्षात्कार से परिचय कराने का सफल मंत्र है।  एक शब्द  में समाहित इस शक्तिशाली मंत्र 'ॐ' के जप से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा तथा उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस पवित्र मंत्र के नियमित जप से मानसिक शांति प्राप्त कर एकाग्रता में वृद्धि तथा स्मृति कोष में उत्तम लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।

ॐ नमः शिवाय

भगवान शिव को संबोधित ॐ नमः शिवाय के इस पवित्र मंत्र के माध्यम से भक्त भगवान शिव का संबोधन करने  हेतु इस मंत्र का जप करते हैं, जिसका अर्थ है; हे भगवान शिव मैं आपके समक्ष शरणागत  हूँ।

भक्तों द्वारा भगवान शिव का सच्चे मन से स्मरण करने व ॐ नमः शिवाय का जप करने से भगवान अवश्य प्रसन्न होकर उस पर अपनी कृपा बनाये रखते हैं और व्यक्ति को  आत्म साक्षात्कार  के मार्ग पर चलने की ओर प्रशस्त करते हैं, जिससे व्यक्ति के मन मस्तिष्क व चित्त पर अच्छा नियंत्रण प्राप्त होता है।

ॐ  गण गणपतये नमः

श्री विघ्नहर्ता अर्थात भगवान गणेश को सम्बोधित यह शुभ मंत्र  ‘ॐ गण गणपतये नमः ’  का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है। जिस प्रकार किसी भी शुभ कार्य का प्रारम्भ करने से पूर्व भगवान गणेश की पूजा करने का महत्त्व है उसी प्रकार भगवान गणेश के स्मरण हेतु  इस मंत्र का विशेष स्थान है। इस शक्तिशाली मंत्र के जप से व्यक्ति के समस्त कष्टों का  निवारण होता है व शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है। विद्यार्थियों द्वारा इस पवित्र मंत्र के जप से वे अपनी  दृढ संकल्प और इच्छा शक्ति में सुधार प्राप्त कर शिक्षा हेतु ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

ॐ लक्ष्मी नम:

माँ लक्ष्मी को समर्पित शक्तिशाली मंत्र 'ॐ लक्ष्मी नम:' का मंत्रोच्चारण माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु उनकी अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए भक्तों द्वारा सच्ची निष्ठा भाव से किया जाता है। माँ लक्ष्मी का स्मरण करने व उनके संबोधन में मंत्रों एवं भजनों का जप करने से  व्यक्ति के घर में सुख समृद्धि का वास होता है व धन , धान , ऐश्वर्य ,वैभव एवं  व्यापार में सफलता का सौभाग्य आदि प्राप्त होता है। 

ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम

 भक्तों द्वारा भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंत्र ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम से  विशेष रूप से मनुष्य का  शारीरिक व मानसिक विकास करने के लिए अत्यधित महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 'ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम' मंत्र के माध्यम से भक्त कहते हैं; हे ईश्वर में आपकी शरण में हूँ। इस मंत्र के जप मात्र से मनुष्य को सांसारिक मोह से मुक्ति पाने की प्रबल इच्छा प्रफुल्लित हो उठती है।

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||  

सम्पूर्ण सृष्टि के जीवन के निर्वाह के रक्षक, त्रिलोकी अर्थात भगवान शिव को समर्पित यह मंत्र अत्यधिक शक्तिशाली है। शिवपुराण जैसे महान ग्रंथ में भी इसका वर्णन मिलता है। भक्तों द्वारा इस मंत्र के जप से उन्हें ईश्वर से दीर्घायु का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है। 'ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||'   के माध्यम से भगवान शिव का सच्चे मन से स्मरण करने पर उस भक्त को जीवन के  जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है व उस भक्त के लिए मोक्ष के कपाट खुल जाते हैं।

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

भगवान विष्णु को समर्पित यह पवित्र मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का मुख्य रूप से भगवान विष्णु को नमन करने हेतु उच्चारित किया जाता है। इस मंत्र के जप से कुंडली के अशुभ ग्रहों को शांत किया जा सकता है तथा शांत चित्त से कार्य सफलता प्राप्त कर आध्यात्मिक ऊर्जा व शारीरिक ऊर्जा  का अनुभव किया जा सकता है।

ध्यान देने योग्य तथ्य:- हम पुनः ध्यान दिला दें कि  ऐसा नहीं है की यहाँ वर्णित मंत्र ही  सर्वशक्तिशाली हैं, अपितु शास्त्रों में दिए गए समस्त मंत्रों का अपना अलग महत्व है, इन सभी मंत्रों को एक ही धरा पर रखना किसी भी व्यक्ति के लिए सरल कार्य नहीं है। परन्तु हमने यहाँ कुछ ऐसे मंत्रों का वर्णन किया है जिनके जप के लिए किसी विशेष अवसर की प्रतीक्षा नहीं करनी होती, इनका लाभ लेने के लिए जातक ऊपर दिए गए समस्त मंत्रों को किसी भी समय जप सकता है।

 

 

योगिता गोयल

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