रामायण का सम्पूर्ण सार केवल एक मंत्र में
•Posted on February 08 2023
श्री राम, जय राम, जय जय राम।
प्रभु श्री राम के जीवन को वर्णित करने वाला महाकाव्य रामायण न केवल उनकी जीवन गाथा को व्यक्त करता है अपितु यह एक ऐसा आध्यात्मिक महाकाव्य है जो सम्पूर्ण मानवजाति को आदर्श मर्यादा,स्नेह भाव एवं आपसी सम्बन्धो को दृंढ रखने की प्रेरणा देता है। हम यह जानते हैं की प्रत्येक व्यक्ति रामायण का पाठ करने का अथक प्रयास करता है परन्तु आधुनिक युग में समय के अभाव के कारण वह ऐसा करने में असफल रहता है। लेकिन लय आप जानते हैं कि केवल एक मंत्र के माध्यम से भक्तों द्वारा प्रतिदिन रामायण पाठ किया जा सकता है।
भगवान राम की उपासना हेतु यह मंत्र अत्यधिक विशेष है। इस मंत्र में सम्पूर्ण रामायण का सार छिपा है जिसे श्लोकि रामायण के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है की जो राम भक्त इस मंत्र का जाप करता है उसे सम्पूर्ण रामायण पढ़ने का पुण्य प्राप्त होता है।
यहाँ यह स्वीकार करना होगा की व्यक्ति द्वारा सम्पूर्ण रामायण पाठ की तुलना किसी अन्य पंक्तियों से नहीं की जा सकती। सम्पूर्ण रामायण का पाठ करने वाला व्यक्ति उसमें घटित घटनाओं, उदाहरणों एवं वक्तव्यों को अनुभव कर अपने जीवन में उनका अनुसरण करता है,वहीं रामायण का सार,मंत्र व श्लोक आदि के माध्यम से भक्त ईश्वर को स्मरण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर प्रभु की महिमा को जान पाता है।
हमारे द्वारा लिखित उक्त पंक्तियों का यह अर्थ नहीं की हम किसी भी पाठक द्वारा किये गए रामायण सार या सम्पूर्ण रामायण पाठ के आधार पर उन्हें किसी श्रेणी विशेष में स्थान दे रहें हैं। हमारे कहने का अर्थ यह है की आज के आधुनिक समय में अन्य कामों को त्याग कर कुछ समय अपने उत्तम स्वास्थ्य हेतु किसी भी रूप में ईश्वर का स्मरण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
आदौ राम तपोवनादि गमनं,हत्वा मृगं कांचनम्
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीव संभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
यह सर्वशक्तिशाली मंत्रों में से एक माना जाता है क्योंकि इस मंत्र में सम्पूर्ण रामायण समाहित है। यदि हम इसके अर्थ की बात करें तो इसके प्रत्येक शब्द में रामायण के अध्यायों का सार निहित है।
अर्थ को यदि सरल भाषा में समझा जाए तो ; प्रभु श्री राम वनवास गए ,वंहा स्वर्ण मृग का वध किया। रावण द्वारा माता सीता का हरण किया गया। रावण के हांथों जटायु ने अपने प्राण गँवा दिए। प्रभु श्री राम एवं सुग्रीव की मित्रता हुई। बालि का वध किया गया। हनुमत की सहायता से समुंद्र पार किया। लंका का पूर्ण रूप से दहन किया गया। तत्पश्चात प्रभु श्री राम द्वारा रावण एवं कुंभकरण का वध किया।
इस मंत्र के पाठ से प्राप्त किये जाने वाले लाभ
हिन्दू धर्म में मनुष्य के सम्पूर्ण विकास के लिए मंत्रों के जप को महत्वपूर्ण बताया गया है जिसको लेकर अक्सर कहा जाता है की मन्त्रों के उच्चारण से शरीर में होने वाले कम्पन्न न केवल शारीरिक लाभ अपितु मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभ भी प्रदान करता है।अर्थात मंत्र सूक्ष्म रूप से हमारे सम्पूर्ण विकास में सहायता करता है।
- इस मंत्र के माध्यम से व्यक्ति सम्पूर्ण रामायण के सार का प्रतिदिन पाठ कर दैवीय कृपा प्राप्त कर अपने जीवन को उत्तम बना सकता है। साधक द्वारा श्लोकि रामायण का प्रतिदिन पाठ करने से भूलवश किये गए पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।
- भक्तों द्वारा इस शक्तिशाली मंत्र के जप से उन्हें बल,बुद्धि,सुख-समृद्धि,धन-धान्य आदि सभी प्राप्त होते हैं।
- जो भी व्यक्ति सच्चे भाव से इस मंत्र का जप करता है उसे अपने भावी जीवन में सफलता अवश्य मिलती है।
- शास्त्रानुसार जो भक्त इस मंत्र का जप करता है उसे जीवन में व्याप्त सभी प्रकार की व्याधियों से मुक्ति प्राप्त होती है।
- माना जाता है की जिस व्यक्ति के जीवन में असन्तुलन बना रहता है यदि उसके द्वारा इस मंत्र का जप किया जाए तो उसे अपने जीवन में व्याप्त दुःख, कलेश व इस प्रकार की समस्त व्याधियों से मुक्ति मिलती है।
श्लोकि रामायण मंत्र के जप हेतु उत्तम समय
हम सब इस बात से भली भांति परिचित हैं कि किसी भी मंत्र,श्लोक या प्रार्थना आदि का पाठ करने हेतु भक्त को किसी भी उपयुक्त समय की अवश्यकता नहीं अपितु मन में श्रद्धा भाव होना अनिवार्य है। हिन्दू संस्कृति में ईश्वर के स्मरण से दिनचर्या को आरम्भ करना अत्यधिक मंगलकारी माना गया है। भक्त प्रतिदिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर नित्य की जाने वाली पूजा में इस मंत्र को सम्मलित कर सकते हैं।
योगिता गोयल
Comments
0 Comments