Enjoy Fabulous Discounts on Bulk Orders.

अक्षय तृतीया: सभी अवसरों हेतु विशेष मुहूर्त

Posted By ServDharm

• 

Posted on April 21 2023

हिन्दू पंचांगानुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया मनाया जाता है। यह शुभ दिन माँ लक्ष्मी, देवी पार्वती व भगवान विष्णु की उपासना के लिए सर्वोत्तम अवसर है। शास्त्रानुसार इस दिन ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त कर पूजा, दान-पुण्य, स्नान व अन्य शुभ कार्यों को करने से मनोवांछित व अक्षय फल होता है। इस अक्षय फल का आनंद व्यक्ति को उसके सम्पूर्ण जीवन में निरन्तर प्राप्त होता है। किसी भी शुभ कार्य, हवन, पूजा, उद्घाटन, सोना, चाँदी, आभूषण, वाहन, आवास स्थान आदि खरीदना जैसे कार्यों का आरंभ करने हेतु यह सबसे उत्तम मुहूर्त माना गया है। इस दिन माँ लक्ष्मी, पार्वती ,गंगा, तुलसी, भगवान विष्णु व नारायण की पूजा करने का विधान होता है। 

अक्षय तृतीया से सम्बंधित मान्यताएं  

  • शास्त्रानुसार इसी तिथि को सतयुग एवं त्रेता युग का प्रारंभद्वापर युग का समापन हुआ।
  • भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था।
  • अक्षय तृतीया की इस शुभ तिथि को ही कुरुक्षेत्र में घटित महाभारत युद्ध का अंत हुआ।
  • इसी दिन भारत के उत्तराखंड में प्रसिद्ध तीर्थ स्थान बद्रीनाथ मंदिर के कपाट खुलते हैं
  • मथुरा के वृंदावन में स्थित बांके बिहारी मंदिर में केवल आज ही के दिन प्रभु के चरण दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है।

अक्षय तृतीया का महत्व:-

  • व्यक्ति द्वारा इस अवसर पर उपयुक्त आचरण को अपनाते हुए कर्तव्यों को पूर्ण करने से अक्षय फल (कभी न समाप्त होने वाला फल ) प्राप्त होता है।
  • शास्त्रानुसार अक्षय तृतीया के दिन पितरों को स्मरण कर उनकी आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। जो जीवन में प्रसिद्धि एवं समृद्धि प्राप्त करने हेतु अत्यंत लाभकारी होता है।
  • अक्षय तृतीया के दिन मनुष्य द्वारा निश्छल भाव से दिये जाने वाले दान एवं पिंडदान का व्यक्ति को प्रत्यक्ष रूप से फल प्राप्त होता है।
  • यह दिन इतना शुभ होता है की इस दिन किसी भी कार्य को करने के लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती यह अपने आप में ही एक विशेष मुहूर्त होता है, इस दिन किसी भी शुभ कार्य जैसे ग्रह पूजा, उद्घाटन, हवन, गृह प्रवेश, कथा, विवाह आदि का प्रारंभ निःसंदेह होकर किया जा सकता है।
  • इस दिन तुलसी माता व माँ गंगा की पूजा-अर्चना कर उपासक अपने सभी पापों को नष्ट कर सकते हैं।
  • मान्यता है की इस दिन गंगा जल को अमृत समान ग्रहण करने से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य का फल प्राप्त होता है।
  • अक्षय तृतीया के अवसर पर जातकों द्वारा सच्ची निष्ठा से की गई पूजा अर्चना से प्रसन्न होकर ईश्वर उसे बल,बुद्धि, साहस तथा पराक्रम प्रदान करते हैं। 

दान-पुण्य का विशेष अवसर

इस दिन व्यक्ति द्वारा निस्वार्थ भाव से किये गए वस्तुओं व सेवाओं के दान जैसे फल, वस्त्र,आभूषण, गौ, भूमि,स्वर्णपात्र या अन्य पात्र, सत्तू,नमक,घी, घड़ा, पुष्प, अन्न, मसालें आदि  दान करने से व्यक्ति के जीवन में सदैव धन-धान्य का सुख प्राप्त होता है। इस दिन ब्राह्मणों, साधू-संतों व पंडितों को भोजन करना अत्यंत मंगलकारी माना गया है। इस दिन अपने पितरों को स्मरण करते हुए पिंडदान किया जाता है साथ ही पशु पक्षीयों के नाम पर भोग निकला जाता है। ऐसा करने से हमारे पूर्वजों का आशीर्वाद सदैव हम पर बना रहता है।

इस दिन की जाने वाली पूजा विधि

मुहूर्त :- यह शुभ तिथि पूर्ण रूप से मंगलकारी मानी गई है। इस दिन किसी भी समय ईश्वर का स्मरण किया जा सकता है।

सामग्री 

  • रोली
  • मौली
  • अक्षत
  • धूप
  • कुबेर दीया
  • लौंग
  • इलायची
  • पान
  • सुपारी
  • जनेऊ
  • इत्र
  • गंगाजल
  • कपूर
  • विष्णु व लक्ष्मी चालीसा
  • माँ लक्ष्मी बा भगवान विष्णु की मूर्ति
  • पूजा थाली
  • मिश्री
  • गुलाबजल
  • चन्दन
  • माता का श्रृंगार
  • चुनरी
  • काओ घी दीया

विधि :- इस दिन भक्त प्रातःकाल उठकर स्नान आदि दैनिक कार्य कर स्वच्छ एवं हलके वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु व लक्ष्मी नारायण को नमन करते हुए उनके आशीर्वाद से इस दिन का शुभारंभ करें, व्रत व पूजा विधि को पूर्ण करने का संकल्प लें।

संकल्प :- हे ईश्वर मैं (आपका नाम) भगवान विष्णु व माँ लक्ष्मी की पूजा अर्चना हेतु व्रत-उपवास के साथ सदा आपके नाम को भजना चाहता हूँ। मेरे जीवन के सभी सत संकल्प शीघ्र पूर्ण कर, मेरे जीवन से काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, भेद, अहंकार आदि विकारों से मुक्त कर अपने इस भक्त को भक्ति व ध्यान करने का सामर्थ्य प्रदान कीजिए।

पूजा से पूर्व एक कलश को जल से भरें उस पर आम के पत्ते रखें, नारियल रखें, सभी तीर्थों का ध्यान करें। चौकी के दोनों ओर एक-एक जल से भरे कलश रखें जिन पर ऋतुफल व अनाज रख पूजा प्रारम्भ करें।

  • अब पवित्र आसन में बैठ कर सर्वप्रथम भगवान गणेश अम्बिका का ध्यान करें।
  • भगवान विष्णु व लक्ष्मी नारायण के दिव्य स्वरुप का ध्यान करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें;

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय (7)

  • भगवान का आवाहन करते हुए उन्हें आसन प्रदान करें, उनकी प्रतिमा को स्थापित करें।
  • पादप्रक्षालन करते हुए, अर्घ्य दें, पंचामृत स्नान कराएं, शुद्ध जल से स्नान कराएं।
  • जनेऊ व वस्त्र अर्पित करें। तुलसी पत्र के साथ पुष्पमाला चढ़ाएं। हल्दी, चन्दन, अक्षत, सुगन्धित इत्र, धूप, दीप का दर्शन कराएं।
  • भोग लगाएं, फल, पान, नारियल दक्षिणा एवं द्रव्य चढ़ाएं ।
  • विष्णु चालीसा, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी नारायण कथा, विष्णुसहस्रनाम आदि भक्ति से ओत-प्रोत प्रार्थना, मंत्र व भजन का पाठ करें।
  • आरती कर पुष्पांजली एवं क्षमा प्रार्थना करें,

क्षमा प्रार्थना मंत्र

ॐ आवाहनं न जानामि तवार्चनं।।

पूजां चैव न जानामि, क्षम्यतां परमेश्वरा ।।

क्षमा प्रार्थनां समर्पयामि।

 इस प्रकार अंत में सभी लोगों को प्रसाद उपलब्ध कराते हुए पूजा को सम्पूर्ण करें और  कहें,

                                            ॐ तत्सत श्री नारायणार्पणमस्तु।  

अतः भक्तों द्वारा अक्षय तृतीया पर की गई पूजा-अर्चना पर मिलने वाले फल ऐसे होते हैं जिन्हें  कदापि समाप्त नहीं किया जा सकता। यह माँ लक्ष्मी, पार्वती, गंगा, तुलसी व भगवान विष्णु की उपासना के साथ ही साथ अपने पितरों की आत्मा कि शांति हेतु दान दक्षिणा आदि के लिए विशेष पर्व का रूप है। इस दिन प्रारंभ किया गया कोई भी कार्य निश्चित रूप से सफल होता है। 

 

योगिता गोयल

Comments

0 Comments

Leave a Comment