संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश के स्मरण हेतु सर्वश्रेष्ठ अवसर
•Posted on March 17 2023
हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार विघ्नहर्ता अर्थात भगवान गणेश को अध्यात्म जगत में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त है।
पंचांग अनुसार विनायक चतुर्थी प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। शास्त्रानुसार इस पावन दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। फलस्वरूप यह पवित्र दिन भगवान गणेश को समर्पित है। भारत में संकष्टी चतुर्थी का पर्व प्रत्येक क्षेत्र में अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, परन्तु महाराष्ट्र में इसका समारोह अत्यधिक मनमोहक व ऊर्जा से परिपूर्ण होता है।
गणेश पूजा का महत्व:-
भारत वर्ष में प्रत्येक पूजा, समारोह व अन्य शुभ कार्यों में सर्वप्रथम भगवान गणेश को पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है की किसी भी कार्य का प्रारंभ यदि भगवान गणेश की आराधना से किया जाए तो वह अवश्य सफल होता है।
संकष्टी चतुर्थी के दिन सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से उपासक भगवान गणेश को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद अवश्य प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन जो भी जातक भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करता है वह भगवान लम्बोदर के आशीर्वाद से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करता है।
विनायक चतुर्थी के अवसर पर यदि मनुष्य भगवान का स्मरण मात्र भी कर ले तो उसके जीवन में व्याप्त समस्त संकटों को भगवान गणेश स्वयं हर लेते हैं व उसे मनोवांछित फल प्राप्त करने का सौभाग्य प्रदान करते हैं।
जो व्यक्ति गृहकलेश व नाना प्रकार (विभिन्न प्रकार) की समस्याओं से प्रतिदिन घिरे रहते हैं उन व्यक्तियों द्वारा भगवान गणेश की तन मन धन से पूजा-अर्चना करने से उनके घरों में सुख-शान्ति का वास होता है व समस्त बाधाओं का नाश होता है।
धार्मिक शास्त्रानुसार भगवान गणेश को बुद्धिनाथ कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘बुद्धि के भगवान’ तात्पर्य यह है कि, जो मनुष्य भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा पाठ करता है वह निश्चित रूप से बुद्धि व ज्ञान प्राप्त करता है।
सामान्य पूजा विधि व व्रत संकल्प :-
भगवान गणेश को समर्पित इस पूजा विधि को संपन्न करना अत्यधिक सरल है। भक्तों द्वारा इस पवित्र पूजा को दोपहर में करने का विधान है।
इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर साफ़ एवं हल्के वस्त्र धारण कर व्रत संकल्प लें व भगवान के समक्ष शीश नवाकर उनसे आशीर्वाद लें की मैं (आपका नाम) आपकी उपासना हेतु यह व्रत रखना चाहता हूँ कृपा कर मुझे सामर्थ्य प्रदान करें की मैं इस व्रत को क्रोध, पाप व लालच से मुक्त होकर यह पवित्र व्रत पूर्ण कर सकूँ।
- सर्वप्रथम एक थाली तैयार करें जिसमें दीपक, धूप, रोली, चावल, पुष्प, फल, जल से भरा कलश, सुपारी, कलावा व मोदक या अन्य प्रसाद आदि सम्मिलित करें।
- गणेश भगवान की प्रतिमा का उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करते हुए स्थापन करें।
- भगवान गणेश का अभिषेक कर पुष्प अर्पित करें।
- रोली व चावल या चन्दन का तिलक कर कलावा चढ़ाएं।
- थाली में राखी गई सुपारी को भी तिलक कर कलावा चढ़ाएं। (यहाँ सुपारी रिद्धि-सिद्धि का प्रतीक हैं)
- धूप व दीप जलाएं।
- भगवान का मोदक व अन्य प्रसाद समाग्री से भोग लगाएं।
- ध्यान रहे पूजा के समय गणेश जी का स्मरण करते रहें।
- तत्पश्चात भगवान गणेश की भक्ति से ओत-प्रोत प्रार्थनाओं व मंत्रों का जप करें। (भगवान गणेश की भक्ति प्रार्थनाओं व मंत्रों के लिए https://www.servdharm.com/ पर विज़िट करें)
- अंत में परिवार जन के साथ भगवान गणेश की आरती करें एवं प्रसाद वितरण कर इस पवित्र पूजा विधि का समापन करें।
क्या न करें:-
- इस विशेष दिन तुलसी की पूजा न करें।
- किसी भी व्यक्ति के लिए अभद्र टिप्पणी न करें।
- ऐसे कार्यों में भाग न लें जो हिंसा के मार्ग की ओर जाता हो।
- धूम्रपान व मांस मदिरा से दूर रहें।
- इस शुभ दिन किसी भी जीव को हानि न पहुँचाए।
- व्रत का संकल्प लेने वाले जातक निद्रा से बचें।
इस पावन अवसर को और भी स्मरणीय बनाने के लिए ServDharm भक्तों के लिए भगवान गणेश की आराधना हेतु विशेष प्रस्तुति (गणेश नित्य आराधना) Ganesha Nitya Aradhanan व (गणेश चालीसा) Ganesha Chalisa लेकर आया है जिसमें भगवान गणेश के अत्यधिक शक्तिशाली मंत्र एवं भक्ति से ओत-प्रोत प्रार्थनाएं सम्मिलित हैं। जिनका जप कर उपासक भगवान गजानन को प्रसन्न कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। हमारे बारे में जानने व हमारे उत्पादों को खरीदने के लिए https://www.servdharm.com/ पर अवश्य विज़िट (visit) करें।
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