Jai Ambe Gauri Aarti - lyrics in English & Hindi
•Posted on December 01 2021
Lyrics In English
Jai Ambe Gauri Maiya, Jaa Shyama Gauri Nishdin Tumko Dhyaavat, Hari Brahma Shivji ॥
Mang Sinduur Biraajat, Tiko Mrigmadko, Ujjvalse Dou Naina, Chandravadan Niko ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Kanak Saman Kalevar, Raktambar Raje, Raktapushp Galmala, Kanthhar Saje ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Kehari Vahan Rajat, Khadg Khappar Dhari Sur Nar Munijan Sevat, Tinke Dukhahari ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Kanan Kundal Shobhit, Nasagre Moti Kotik Chandra Divakar, Samrajat Jyoti ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Shumbh- Nishumbh Vidare, Mahishasur Ghatia Dhumra-Vilochan Naina, Nishdin Madmati ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Chanda-Munda Sanhera, Shonit Beed Hare, Madhu-Katitabha Mare, Sur Bhayahin Kare ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Brahmani, Rudrani, Tum Kamala Rani, Agam-Nigam Bakhani, Turn Shiv Patrani ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Chaunsath Yogini Gavat, Nritya Karat Bhairon, Bajat Tab Mridanga, Aur Bajat Damru ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Tum Ho Jag Ki Mata, Tum Hi Ho Bharta, Bhaktan Ki Dukh Harta, Sukh Sampati Karta ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Bhuja Char Ati Shobhit, Var Mudra Dhari, Manvanchhit Phal Pavat, Sevat Nar Nari॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Kanchan Thal Virajat, Agaru Kapur Bati Malketu Men Rajat, Kotiratan Jyoti ॥
॥Jai Ambe Gauri...॥
Jai Ambe Gauri Maiya, Jaa Shyama Gauri Nishdin Tumko Dhyaavat, Hari Brahma Shivji ॥
हिंदी में लिरिक
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी । तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को । उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै । रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी । सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती । कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती । धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे । मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी । आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों । बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी । मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती । श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे । कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे
॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
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