जया एकादशी पर कैसे करें भगवान विष्णु का स्मरण
•Posted on January 31 2023
हिन्दू पंचांग अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु के उपासक इस विशेष दिन हरिहर की अनुकम्पा प्राप्त करने हेतु विधिवत रूप से व्रत रखते हैं। इस दिन भगवान केशव की पुष्प,जल,अक्षत व रोली आदि से पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों को दान दक्षिणा देने का विशेष महत्व है। शास्त्रानुसार इस दिन जो भी जातक जया एकादशी के व्रत के संकल्प को पूर्ण करता है वह अपने सभी पापों से मुक्ति अवश्य प्राप्त करता है।
मुहूर्त
इस पवित्र दिन भक्त प्रातःकाल तुलसी माँ को जल अर्पित कर भगवान विष्णु का स्मरण करें उनकी पूजा अर्चना कर सांयकाल में कथा श्रवण करें।
लाभ
- जो भक्त सच्चे मन से इस दिन व्रत करता है वो मनुष्य ब्रह्म हत्यादि पापों से मुक्ति प्राप्त होता है।
- पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन ब्राह्मणों को यथा शक्ति दान देने व व्रत रखने से भूत-प्रेत पिशाच आदि योनियों से मुक्ति मिल जाती है।
- माना जाता है यदि जातक इस दिन सच्चे भाव से जाया एकादशी की व्रत कथा सुनता या सुनाता है उसे 1000 वर्ष तक स्वर्ग में वास करने का फल प्राप्त होता है।
- जो भी भक्त जया एकादशी को व्रत रख कर भगवान विष्णु सहित माता लक्ष्मी की पूजा करता है उसे जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
- जो जातक जया एकादशी का व्रत रखने में असमर्थ हैं उनके द्वारा किये गए केवल स्मरण मात्र से ईश्वर ऐसे दुर्बलों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।
- इस दिन की उपयोगिता को जान जो भक्त भगवान विष्णु का ध्यान करता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।
- कहा जाता है यदि इस दिन कोई रोगी भगवान विष्णु का स्मरण मात्र ही कर लें इसी से उसके सारे दुखों का नाश भगवान स्वयं करते हैं।
सामान्य पूजा विधि व व्रत संकल्प
भगवान विष्णु को समर्पित इस पूजा विधि को संपन्न करना अत्यधिक सरल है। भक्तों द्वारा इस पवित्र पूजा को प्रातःकाल या सांयकाल में करने का विधान है।
इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर साफ़ एवं हल्के वस्त्र धारण कर व्रत संकल्प लें व भगवान के समक्ष शीश नवाकर उनसे आशीर्वाद लें की मैं (आपका नाम) आपकी उपासना हेतु यह व्रत रखना चाहता हूँ कृपा कर मुझे सामर्थ्य प्रदान करें की मैं इस व्रत को क्रोध, पाप व लालच से मुक्त होकर यह पवित्र व्रत पूर्ण कर सकूँ।
- सर्वप्रथम एक थाली तैयार करें जिसमें दीपक, धूप, रोली, चावल, पुष्प, फल, जल से भरा कलश, सुपारी, कलावा व मिश्री, तुलसी या अन्य प्रसाद आदि सम्मिलित करें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा का उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करते हुए स्थापन करें।
- भगवान विष्णु का अभिषेक कर पुष्प अर्पित करें।
- रोली,चन्दन व चावल का तिलक कर कलावा चढ़ाएं।
- थाली में रखी गई सुपारी को भी तिलक कर कलावा चढ़ाएं।
- धूप व दीप जलाएं।
- भगवान का तुलसी के पत्ते व अन्य प्रसाद समाग्री से भोग लगाएं।
- ध्यान रहे पूजा के समय नारायण का स्मरण करते रहें।
- तत्पश्चात भगवान विष्णु की भक्ति से ओत-प्रोत प्रार्थनाओं व मंत्रों का जप करें।
- अंत में समस्त परिवार जन के साथ भगवान विष्णु की आरती करें एवं प्रसाद वितरण कर इस पवित्र पूजा विधि का समापन करें।
क्या न करें:-
- इस विशेष दिन किसी भी वृक्ष को क्षति न पहुंचाएं।
- किसी भी व्यक्ति के लिए अभद्र टिप्पणी का प्रयोग न करें।
- ऐसे कार्यों में भाग न लें जो हिंसा के मार्ग की ओर जाता हो।
- धूम्रपान व मांस मदिरा से दूर रहें।
- इस शुभ दिन किसी भी जीव व प्राणी को हानि न पहुँचाए।
- व्रत का संकल्प लेने वाले जातक निद्रा से बचें।
कथा
एक समय की बात है इंद्र की सभा में एक गन्धर्व गीत गा रहा था,परन्तु उसका मन अपनी नवयौवन सुंदरी में आसक्त था जिसके कारन स्वर लय भंग हो रहे थे। यह लीला व्याकुल कर रही थी तब उन्होंने क्रोधित होकर उसे शाप दिया की हे गन्धर्व तू जिसके ध्यान में मग्न है वह राक्षसी बन जाएगी।
जिसे सुनकर गन्धर्व अत्यधिक विचलित हो गया। जब उसने अपनी पत्नी को देखा वह सचमुच पिशाचनी रूप में उसके समक्ष खड़ी हुई थी। इस शाप से बचने के लिए उसने अनेक प्रयास किये परन्तु सब असफल रहे तब अकस्मात् एक दिन उसका सामना ऋषि नारद से हुआ उसने अपनी व्यथा साझा की जिसको सुनकर नारद ने माघ शुक्लपक्ष की जया एकादशी का व्रत करने को कहा ऋषि नारद जी के कहे अनुसार उसने जया एकादशी पर भगवान विष्णु का स्मरण कर पुरे विधि विधान से व्रत कर पूजा अर्चना की जिसके प्रभाव से उसकी पत्नी अत्यंत सौन्दर्यशाली हो गई।
योगिता
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