जाने दर्श अमावस्या का महत्व
•Posted on February 23 2023
।।ॐ श्रीं श्रीं चन्द्रमसे नम: ।।
पंचांग के अनुसार दर्श अमावस्या प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को मनाया जाता है। इसे चंद्र दर्श अमावस्या, दर्शा व श्राद्ध आदि नाम से जाना जाता है। इस दिन आकाश में चाँद पूर्ण रूप से विलुप्त हो जाता है। मान्यता है की इस दिन चंद्र देव की पूजा करने के साथ ही साथ अपने पूर्वजों, माता-पिता, पितरों व घर के बड़ों की भी सम्मानपूर्वक पूजा-अर्चना तथा स्मरण कर उनकी आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की जाती है। दर्शा के इस शुभ अवसर पर माँ गौरी व माँ तुलसी की पूजा करने के साथ ही पीपल के वृक्ष की सात बार परिक्रमा करने का विधान भी है। इस दिन स्नान व दान-दक्षिणा का विशेष महत्त्व रहता है।
भारत के अनेक क्षेत्रों में इस शुभ अवसर पर चंद्र देवता की पूजा हेतु व्रत का संकल्प लिया जाता है जिससे चंद्र देव प्रसन्न होकर उस भक्त पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। अमावस्या का यह व्रत स्त्री, पुरुष,कुँवारी व सुहागन सभी के लिए स्वास्थ्यवर्धक एवं फलदाई सिद्ध होता है।
दर्श अमावस्या का महत्व
माना जाता है जो भी जातक सच्चे मन से चंद्र भगवान की पूजा-अर्चना करता है उसके भक्ति भाव से चंद्र देव अवश्य प्रसन्न होते हैं, जिससे उसके जीवन में सदा शांति बनी रहती है।
इस शुभ दिन जो भी मनुष्य अपने पूर्वजों की सच्ची निष्ठा से पूजा पाठ करता है उसे जीवन में किसी भी कलह का सामना नहीं करना पड़ता।
चंद्र अमावस्या के इस अवसर पर जो मनुष्य प्रातःकाल अपने माता-पिता के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेता है उसे जीवन के समस्त कष्टों का नाश करने की शक्ति प्रदान होती है। ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना व असहाय लोगों की सेवा करने में ही इस दिन का सार छिपा हुआ है जो व्यक्ति ऐसा करता है उसके घर में कदापि धन-धान्य का अभाव नहीं रहता अपितु ईश्वर के आशीर्वाद से उस घर में सुख-शांति विद्यमान रहती है।
जो भी भक्त इस दिन चंद्र भगवान की स्तुति हेतु उपवास पूर्ण करते हैं उनकी अतिशीघ्र सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते हैं।
कन्याओं द्वारा इस व्रत को सम्पूर्ण करने से उज्जवल भविष्य व गुणवान पति की प्राप्ति होती है।
सुहागिनों द्वारा इस व्रत को विधि-विधान से सम्पूर्ण करने से उन्हें गृह क्लेश से मुक्ति प्राप्त होती है साथ ही पति का प्रेम पाने का सौभाग्य प्राप्त होता है
भक्तों द्वारा इस दिन जहाँ चंद्र देव की पूजा-अर्चना से उनकी कृपा दृष्टि प्राप्त होती है वहीं इस शुभ दिन अपने माता पिता,बड़े-बूढ़े,पूर्वजों आदि का स्मरण कर उनके बताये गए मार्ग का अनुसरण करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दान करने का विशेष अवसर
शास्त्रों में अमावस्या को मुख्य रूप से मोक्ष प्राप्ति हेतु शुभ बताया गया इस दिन अपने पितरों के नाम से दान की वस्तुओं को गरीब लोगों में वितरित किया जाता है। कहा जाता है की इस दिन पंडितों व ब्राह्मणों को भोजन अवश्य करना चाहिए इससे हमारे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
क्या न करें
- किसी भी अपने से बड़े व्यक्ति को अपमानित न करें।
- खाद्य पदार्थ या अन्न आदि का अनादर न करें।
- अपने माता पिता को किसी भी प्रकार से दुःख न पहुँचाये।
- किसी भी जीव-जंतु को क्षति न पहुचाएं।
योगिता गोयल
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