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माँ शारदा को सम्बोधित वसंत पंचमी का महत्त्व व पूजा विधि

Posted By ServDharm

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Posted on January 23 2023

विद्या की देवी माँ सरस्वती को समर्पित 'बसंत पंचमी'  हिंदू पंचांग के अनुसार  माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को  मनाई जाती है। बसंत पंचमी श्री पंचमी के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन विद्या व ज्ञान की देवी अर्थात माँ सरस्वती की उपासना की जाती है। बसंत पंचमी मुख्य रूप से बसंत ऋतु के प्रारम्भ का संकेत है। शास्त्रानुसार आज ही के दिन देवी सरस्वती का अवतार दिवस मनाया जाता है।

वसंत पंचमी की पूजा के महत्त्व व लाभ :-

  • इस दिन विधि-विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा की जाए तो उनकी कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है। साथ ही मां अपने भक्तों को शौर्य, बल, बुद्धि तथा विद्या का वरदान देती हैं।
  • विद्यार्थियों को शिक्षा में किसी भी तरह की बाधा आती है तो इस दिन विशेष पूजा कर उस समस्या का समाधान किया जा सकता है।
  • बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती कवच का पाठ करना अत्यंत कल्याणकारी माना गया है। इससे मनुष्य को बुद्धि एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है व कार्य में एकाग्रता उत्त्पन होती है। 

 पूजा विधि

बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के पश्चात व सूर्यास्त से पहले की जाती है। माँ सरस्वती की पूजा विधि अत्यंत सरल व संक्षिप्त है, इस शुभ दिन आप प्रातः काल उठकर अपनी दैनिक नित्य क्रियाओं से निर्वृत्त होकर, साफ़ स्वच्छ व हल्के पीले रंग के वस्त्र धारण कर लें। अब पवित्र आसन में बैठ कर सर्वप्रथम भगवान गणेश का स्मरण कर माँ सरस्वती का पूजन स्तवन करें। अब भगवती के दिव्य स्वरुप का ध्यान करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें;

ॐ सरस्वती नमस्तुभ्यं,वरदे काम रूपिणी।

पूजारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु में सदा।।

इसके पश्चात् माँ सरस्वती के स्वरुप का आवाहन करते हुए उन्हें आसन प्रदान कर उनकी प्रतिमा को

स्थापित करें, इसके पश्चात पादप्रक्षालन करते हुए, अर्घ्य दें, स्नान कराएं, अधोवस्त्र, उपवस्त्र अर्पित करते

हुए, चन्दन कुमकुम व श्रृंगार (16 श्रृंगार सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी,काजल,लाल),सुगन्धित इत्र,धूप,दीप का

दर्शन करायें अब भोग लगाएं,फल,पान,दक्षिणा एवं द्रव्य चढ़ाएं तत्पश्चात सरस्वती चालीसा, सरस्वती

स्तोत्र, गायत्री मंत्र आदि अन्य भक्ति से ओत-प्रोत प्रार्थना व मंत्र एवं भजन आदि का पाठन कर आरती

कर पुष्पांजली करें क्षमा प्रार्थना करें, तथा अंत में समर्पण करते हुए कहें ॐ तत्सत श्री जगदम्बार्पणमस्तु।

क्षमा प्रार्थना मंत्र

ॐ आवाहनं न जानामि तवार्चनं।।

पूजां चैव न जानामि, क्षम्यतां परमेश्वरी ।।

क्षमा प्रार्थनां समर्पयामि।

 

इस पवित्र दिन क्या न करें :-

  • अनैतिक विचारों से बचें।
  • इस शुभ दिन काले व गहरे रंग के वस्त्र धारण न करें।
  • अपने माता पिता व बड़ों का अनादर न करें।

 

योगिता गोयल

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