राम नवमी: प्रभु श्री राम का जन्मोत्सव
•Posted on March 29 2023
।। श्री राम जय राम जय जय राम।।
धार्मिक ग्रंथानुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान विष्णु के सातवें अवतार प्रभु श्री राम ने अयोध्या के राजा दशरथ के घर मानव रूप में जन्म लिया। इसी पावन दिन को राम नवमी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है की भगवान श्री राम का जन्म पृथ्वी पर बढ़ रहे अधर्म का नाश करने व धर्म की रक्षा करने के उद्देश्य से ही हुआ। मर्यादा पुरुषोत्तम राम प्रत्येक युग में मानवता के उद्धार व सनातन धर्म के आदर्शों का प्रचार-प्रसार करने हेतु श्रद्धा भाव से पूजे जाते रहे हैं और अनंत काल तक पूजे जाते रहेंगें।
भक्त इस दिन भगवान राम के जन्म का उत्सव मनाने व उनकी आराधना करने हेतु व्रत का संकल्प कर विधि-विधान के साथ पूजा को संपन्न करते हैं तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है।
इस शुभ दिन राम नाम स्मरण करने के लाभ :-
इस दिन जो भी साधक श्रद्धा भाव से राम नवमी व्रत को पूर्ण करता है या भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाता है, उस पर रघुवर जी की कृपा दृष्टि सदैव बनी रहती है तथा उसके घर में सुख समृद्धि का वास निश्चित रूप से होता है।
इस दिन हवन, कथा पाठ व जागरण आदि का आयोजन करने या उसमें किसी भी रूप में भाग लेने से व्यक्ति द्वारा किए गए समस्त पापों नाश होता है तथा उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
राम नवमी के अवसर पर राम चालीसा,रामचरितमानस व रामायण आदि के पठन-पाठन से जीवन में व्याप्त समस्त कष्टों से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
अयोध्या समारोह का विशेष स्थान
विश्व में प्रभु श्री राम का जन्म उत्सव मनाने के लिए मंदिर, संस्थान एवं धार्मिक संगठनों द्वारा रामायण,रामचरितमानस का अखण्ड पाठ व जागरण, हवन आदि आयोजित कराए जाते हैं, परन्तु राम जन्म भूमि अर्थात अयोध्या नगरी में इसका स्वरूप विशेष उत्साह एवं उमंग के साथ मनाया जाता है।
समस्त नगरी में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है जो सरयू नदी के पवित्र जल में स्नान करने व प्रभु का दर्शन करने आते है। राम नवमी के इस अवसर पर अयोध्या नगरी चारों ओर से पुष्पों से शुसोभित तथा दीपों के प्रकाश से जगमगाता है, विशाल आकार में रंगोलियाँ काड़ी (बनाई) जाती हैं। अयोध्या में विशेष रूप से प्रभु श्री राम के जन्म उत्सव पर करोड़ों की संख्या में मिट्टी से बने घी के दीपक प्रज्वलित किए जाते है जिसकी प्रशंसा पुरे विश्व द्वारा की जाती है जो अयोध्या को एक विशेष स्थान प्रदान करता है।
पूजा विधि
राम नवमी के अवसर पर अधिकतर लोग घरों एवं पाण्डालों में हवन,जागरण, कथा आदि अनुष्ठान आयोजित कराते है परन्तु कुछ साधक प्रभु का स्मरण करने हेतु साधारण पूजा विधि को अपनाकर व्रत के माध्यम से भगवान श्री राम को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी को प्रातःकाल उठकर कर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर श्री राम को संबोधित राम नवमी के व्रत का संकल्प लें।
हे प्रभु मैं (आपका नाम) भगवान राम की पूजा अर्चना हेतु व्रत-उपवास के साथ सदा आपके नाम को भजना चाहता हूँ। मेरे जीवन के सभी सत संकल्प शीघ्र पूर्ण कर, मेरे जीवन से काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष, भेद, अहंकार आदि विकारों से मुक्त कर अपने इस भक्त को भक्ति व ध्यान करने का सामर्थ्य प्रदान कीजिए।
- अब पवित्र आसन में बैठ कर सर्वप्रथम भगवान गणेश का स्मरण करते हुए भगवान राम के दिव्य स्वरुप का ध्यान करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें; श्रीराम शरणं मम्।
- प्रभु श्री राम का आवाहन करते हुए उन्हें आसन प्रदान कर उनकी प्रतिमा को स्थापित करें।
- पादप्रक्षालन करते हुए, अर्घ्य दें, पंचामृत स्नान कराएं, शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- जनेऊ, वस्त्र व यग्नोपवीत अर्पित करें पुष्पमाला चढ़ाएं।
- हल्दी, चन्दन, अक्षत, सुगन्धित इत्र, धूप, दीप का दर्शन कराएं।
- भोग लगाएं, फल, पान, नारियल दक्षिणा एवं द्रव्य चढ़ाएं ।
- राम चालीसा, रामायण मनका व अन्य भक्ति से ओत-प्रोत प्रार्थना, मंत्र व भजन आदि का पाठ करें।
- आरती कर पुष्पांजली एवं क्षमा प्रार्थना करें,
क्षमा प्रार्थना मंत्र
ॐ आवाहनं न जानामि तवार्चनं।।
पूजां चैव न जानामि, क्षम्यतां परमेश्वरा ।।
क्षमा प्रार्थनां समर्पयामि।
- इस प्रकार अंत में सभी लोगों को प्रसाद उपलब्ध कराते हुए पूजा को सम्पूर्ण करें और कहें,
ॐ तत्सत श्री नारायणार्पणमस्तु।
इस प्रकार भक्त भवन राम की पूजा अर्चना कर जीवन में व्याप्त समस्त कष्टों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है यदि कोई मनुष्य पूजा करने या व्रत संकल्प को पूर्ण करने में असमर्थ है, ऐसे में केवल राम नाम का जप करना भी अत्यंत लाभकारी है। मान्यता है की राम नाम के जप के लिए किसी विशेष अवसर की आवश्यकता नहीं होती साधक किसी भी समय कितनी भी बार एकाग्र चित्त एवं शांत मन से राम नाम का जप कर उत्तम स्वास्थ्य की कामना कर सकता है। अतः भगवान राम का ध्यान कर भक्त शांति प्राप्त करता है साथ ही एक ऐसी ऊर्जा प्राप्त करता है जो उसे एक उत्तम जीवन जीने की दिशा की ओर अग्रसर करती है।
योगिता गोयल
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